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Wednesday, September 29, 2010

शायरियाँ

कह दिया होता तुम अमानत है किसी और के
तो की नही होती हम मूहोब्बत इतनी आप से
अब कहने से भी क्या है फ़ायदा
लहू जो निकाली है आप ने हमारे दिल से

- विनीत मोहनदास


एक चाँद को चाहा था हम ने 
और नूर उसकी अपने आँखों मे बसाया था
मगर हमे था क्या पता
वह था पहले से आस्मान के बाहोमें
- विनीत मोहनदास


मरने केलिए हम है
तो कोई दूसरा मारे क्यों
मिटने केलिए हम है
तो कोई दूसरा मिटे क्यों
प्यार करने की जुरत की थी
मेरे इस कम्बक्त दिल ने
उसकी साज़ा दूसरों को भूकतना क्यों
क्या ज़ख़्म दिया था उसने
एक ही वार से
फिर रोते रोते भी यह दिल
उसका नाम लेता है क्यों
- विनीत मोहनदास


प्यार होते है क्या यह हमसे पूछो
दर्द होते है क्या यह हमसे पूछो
बहुत दुकता है यह दिल जब बिछूड़ते है वो
अब यह दर्द सहे कैसे यह हमसे पूछो
- विनीत मोहनदास

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