वो एक सफ़र था
यादों की बारात लेके
दिल के ज़ख़्म में खून की नमी लेके
आँखों के प्यालों में आसुओं का सागर लिए
मरहम की तलाश में तडपती गिड़गीडाती
नशे में भी जो सो ना पाती
वक़्त की बहाव ने वो ज़ख़्म जब मिटाया
खुदा को फिर से एक मज़े की सोच आई
एक दिल रूबा को फिर से मेरे दिल में बसाया
और हस्ते हस्ते ही दिल में तलवार घुसा दी
बहने को अब ना था दिल में लहू
रोने को अब ना थे आँखों में आँसू
बस रह गए ज़हन में काँटे यादो के
और फिर तलाश में निकले है हम
उस जादूई मरहम की
दुनिया बुलाए हुमको पागल आवारा
मगर हो गये है हमको अब
मोहब्बत मेरी सफ़र से यारा
- विनीत मोहनदास
यादों की बारात लेके
दिल के ज़ख़्म में खून की नमी लेके
आँखों के प्यालों में आसुओं का सागर लिए
मरहम की तलाश में तडपती गिड़गीडाती
नशे में भी जो सो ना पाती
वक़्त की बहाव ने वो ज़ख़्म जब मिटाया
खुदा को फिर से एक मज़े की सोच आई
एक दिल रूबा को फिर से मेरे दिल में बसाया
और हस्ते हस्ते ही दिल में तलवार घुसा दी
बहने को अब ना था दिल में लहू
रोने को अब ना थे आँखों में आँसू
बस रह गए ज़हन में काँटे यादो के
और फिर तलाश में निकले है हम
उस जादूई मरहम की
दुनिया बुलाए हुमको पागल आवारा
मगर हो गये है हमको अब
मोहब्बत मेरी सफ़र से यारा
- विनीत मोहनदास