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Thursday, September 10, 2015

एक शायरी

दिल में एक राज़ था
जो होटों तक आया नही
नज़रों से बातें करती थी
लफ़्ज़ों के सहारे नही
जिस के इन्तज़ार में
तमाम-ए-उम्र बीत गई
आख़िर जब वह नज़र आई तो
हम गुलाम किसी ओर के हो गये

- विनीत मोहनदास

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